Skip to main content

Recently Updated Pages

प्रमत्त और अप्रमत्त संयत की स्थिथि

रहस्य, सिद्धांत और अमिमांसित प्रश्न

प्रचलित स्तिथि इन दोनों गुणस्थान की उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त मानी जाती है। एक झूले (swing) का उदाहरण...

Updated 9 months ago by कमल जैन

अव्यवहार राशि

रहस्य, सिद्धांत और अमिमांसित प्रश्न

इस संबध में अनेक प्रकार की धारनाये प्रचलित है। आगम मे स्पष्ट रूप से कही पर भी व्यवहार अव्यव्हार र...

Updated 10 months ago by कमल जैन

आयुष बंध में अबाधा काल

जय जिनशाशन समूह चर्चा

पन्नवणा सूत्र में आयुष्य बंध के तुरंत बाद आयुष कर्म का प्रदेशोदय शुरू हो जाता है भले ही विपाक उदय...

Updated 10 months ago by कमल जैन

दुख किन जीवों में ज़्यादा?

जय जिनशाशन समूह चर्चा

प्रचलित मान्यता है की "निगोद के जीवों को सबसे ज़्यादा, नरक से भी अनंत गुना दुख होता है।"। इसका स्...

Updated 10 months ago by कमल जैन

चार अमर गुणस्थान

जय जिनशाशन समूह चर्चा

वैसे तो तीन गुणस्थान अमर माने गए हैं - तीसरा, बारहवां और तेरहवां (३, १२, १३)। परंतु यदि गहराई से ...

Updated 10 months ago by डॉ जयप्रकाश जैन

आराधक

रहस्य, सिद्धांत और अमिमांसित प्रश्न

जो ज्ञान, दर्शन और चारित्र की समयक आराधना करे वह आराधना करने वाला या आराधक कहलाता है। आगम में स्प...

Updated 10 months ago by कमल जैन

Introduction

जैन धर्म के मूल सिद्धांत

जैन दर्शन में जीवत्व, मोक्ष और मोक्ष मार्ग समझाने के लिए अनेक तत्व और सिद्धांत है। मुख्यतर नव तत्...

Updated 10 months ago by कमल जैन

मनःपर्यवज्ञान

जैन धर्म के मूल सिद्धांत

मनःपर्यवज्ञानावरणीय कर्मों का क्षयोपशम करने पर मनःपर्यवज्ञान होता है। मनःपर्यवज्ञान मनुष्य क्षेत्...

Updated 10 months ago by कमल जैन

जातिस्मरण ज्ञान

जैन धर्म के मूल सिद्धांत

संज्ञि ञान / जातिस्मरणज्ञान, संज्ञी जीवों को प्राप्त होने वाला ज्ञान जिनसे अपने पूर्व के भव और जा...

Updated 10 months ago by कमल जैन

पाँच समवाय

जय जिनशाशन समूह चर्चा

प्रचलित पाँच समवाय - काल, स्वभाव, नियति, पूर्वकृत (कर्म), और पुरुषार्थ ये पाँचों ही कारण हर कार्य...

Updated 10 months ago by कमल जैन